पुराने समय की बात है,एक गाँव में ,एक बहुत ही गरीब मदन नाम का एक आदमी रहता था |
उसका एक बेटा था -श्याम उन दोंनो गुज़रा जंगल से लकड़ी काट कर, बाज़ार में बेचकर, खाने-पीने का इंतजाम होता था|मदन हर दिन मेहनत करने के बाद थोड़ा थोड़ा करके 100 रुपये जमा करता है ,मदन ने 100 रूपये पैसे से श्याम को शहर के स्कूल में दखिल कर देता है |कुछ महीनों के पश्चात 100रुपये खत्म हो जाता है |
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Hari Krishna pingua |
तब प्रधानाध्यापक श्याम को कार्यालय बुलाया और श्याम से कहा- श्याम मैं तुम्हें स्कूल से निकालना तो नहीं चाहता मगर क्या करूं आपका जामा किया हुआ पैसे खत्म हो गया है ईसलिए वापस घर जाना पड़ेगा |श्याम स्कूल से घर के लिए निकल पड़ता है और वह आपने पिता को जंगल जाते हुए पहुंचाते हैं |पिताजी श्याम से कहा- बेटा तुम स्कूल से क्यों आये?श्याम ने कहा- पापा आपने जमा की हुई फीस खत्म हो गया है ईसलिए स्कूल से निकाल दिया |अब से हम दोनों जंगलजाएंगे तो ज्यादा पैसे कामाएँगे फिर मैं आगे की पड़ाई करसकता हूँ |पिता ने कहा-नहीं बेटा तुम आराम करो मैं जाता हूँ |बेटा नहीं मै भी जाउँगा |पिता ठीक है मैं कुल्हाड़ी बाड़े से आता हूँ और वह मोहन से 1/2रूपये बाड़े से ले आता है |दोनों जंगल जाने के बाद लकड़ी काटना शुरू किया और दोप्हार हुआ |पिता ने कहा -बेटा श्याम थोड़ा आराम करेंगे |बेटा ने कहा- पापा आप आराम करो मैं कल के लिए सुखी लकड़ी देख के आता हूँ |पिता ने कहा नहीं जंगल खतरनाक है मत जाना |श्याम मैं ज्यादा दुर नहीं जाउँगा ऐसा कहकर वहाँ से सुखी लकड़ी देखने के लिए जाता है,और देखते -देखते वहाँ से दूर चला जाता है |दूर जाने पर श्याम को विशाल सूखे पेड़ के नीचे से आवाज सुनाई देता है बचाओ बचाओ....................श्याम इधर उधर देखता है किसी को देख नहीं पाता फिर आवाज़ सुनता हैं और कहा- कहाँ हो, कौन हो ?पेड़ के नीचे में एक बोतल में बंद हूँ| श्याम घबराते हुए बोतल के पास जा पहुँचा और देख कर दंग रह गया |श्याम ने डरते पूछा तुम कौन हो , इस बोतल में गुस्सा कैसे? बोतल में बंद भूत ने कहा - जल्दी निकालो मुझे नहीं तो मैं मर जाउँगा |श्याम ने सोचा इसको बाहर निकालू की नहीं |भूत ने कहा - जल्दी डक्खंन खोलो|श्याम ने जब नहीं बताओगे की तुम इस बोतल में बंद कैसे हुए?भूत ने डक्खंन खोलोगे तो मैं तुम्हें ईनाम दूगा |श्याम ने कहा- जब तक नहीं बताओगे तो नहीं खोलूँगा | तब भूत ने कहा - बहुत साल पहले एक साधु दोर्णाचर्य तपस्या करने के लिए आया था |इस पेड़ के नीचे तपस्या करने लगा तो मेै यहाँ रहने के लिए तकलीफ़ हो गया था| उसका तपस्या भंग करने और साधु को भगाने के लिए मै जानवरों को मर कर उसके आसपास पेक देता था|फिर भी उसका तपास्या भंग नहीं कर पा रह था तब मै उसको साँप से काटवाया |साधु दोर्णाचर्य आँखे खुल गई,कौन हैं जो मुझको साँप से कटवाया | साधु समझ गया की बिना दोष के साँप हमको नही काटता और आस पास देखा तो सड़े हुए जानवरों देखता है साधु गुस्सा हुआ |साधु आपने तपस्या शक्ति से मुझको बोतल में बंद कर दिया था|
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Hari krishna Pingua |
भूत ने श्याम से प्लीज बाहर निकालो मुझे मैं तुम्हें ईनाम दूंगा ,और रोता हुआ बोलता है प्लीज़ निकालो मुझ
को |श्याम को दिल में दया आ जाता है डक्खंन खोल देता है और भूत बोतल से बाहर निकल जाता है,निकलते ही भूत हँसने लगाता हैं हॉ हॉ.............
अब मैं तुम्हें नहीं छोड़ोउँगा भूत श्याम को खाने की कोशिश करता है तब रूको , श्याम ने आप तो ईनाम की देने की बात कर रहे थे |
मैं ने झूठ कहा- तुमसे मैं तुम्हें ईनाम दूगा अब पहले तुम्हे खाउँगा फिर उस दोणार्चय को खा जाउँगा |भूत श्याम को खाने ही वाला था तबही श्याम के पिता बेटा श्याम तुम कहाँ हो पुकरते पुकरते कुछ दुर आता है |भूत ने पुकरने की आवाज़ सुनता हैं और श्याम से पूछता है कि कौन आ रहा है पुकरते हुए |तभी श्याम ने भूत से कैसे बचा जा सकता है, सोचा और कहा- मैं दोणाचर्य का बेटा हूँ वो मेरे पिता की आवाज़ है वो आ रहे हैं तुमको नहीं छोड़ेगा फिर से बोतल के अंदर जा | भूत डर के मरे फिर बोतल में घुल जाता और श्याम डक्कांन बंद कर देता है ,और श्याम वहाँ से जाने लगता है तब भूत बोलता है कि जा कहाँ रहे हो ?श्याम ने कहा- मैं दोणाचर्य का बेटा नहीं हूँ, मैं ने तुमको बचाया और हमको को ही मरने चला था अब बोतल के अंदर मर मैं चला हा हा.................
भूत तब रो पड़ता है और रोतेे हुए श्याम से कहा निकल दो श्याम एक बार गलती किया था और दोबारा नहीं करूँगा|भूत ने रोते हुए कहा-आज से मैं कसम खाता हूँ कि किसी को बिना गलती का किसी को भी कोई हानि नहीं पहुँचाउँगा और हर किसी का मदद करूँगा,कसम थोड़ा तो मैं मर जाँऊ|
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